How to Setup a Manufacturing Plant of Medicated Ghee?
How to Setup a Manufacturing Plant of Medicated Ghee?
Setting up a manufacturing plant for medicated ghee, such as Brahmi Ghrita, Ashwagandha Ghrita, or Triphala Ghrita, requires careful planning, compliance with regulations, and a strong focus on quality assurance.
1: Market Research For Plant of Medicated Ghee
Identify Products:
Popular medicated ghees include Brahmi Ghrita, Panchagavya Ghrita, Triphala Ghrita, etc.
Target Audience:
Ayurvedic practitioners, pharmacies, and health-conscious individuals.
Export opportunities in countries that favor Ayurvedic products.
Competitor Analysis:
Study pricing, packaging, and marketing strategies of competitors.
2: Legal and Regulatory Requirements
Essential Licenses:
AYUSH License: For Ayurvedic product manufacturing.
Good Manufacturing Practices (GMP): Mandatory for Ayurvedic facilities.
FSSAI License: If the product is consumed as food.
Pollution Control Board Clearance: To manage environmental compliance.
Trademark Registration: To protect your brand name and logo.
Export Licenses: For selling internationally.
Cost for Licenses: ₹50,000 – ₹1,00,000 (approximately).
3: Location and Infrastructure
Space Requirements:
Small Scale: 1000–1500 sq. ft.
Medium Scale: 3000–5000 sq. ft.
Plant Layout:
Raw Material Storage: Herbs, cow ghee, and oils.
Manufacturing Unit: Washing, extraction, boiling, and filtration areas.
Quality Control Laboratory: For product testing.
Finished Goods Storage: For packed products.
Cost of Infrastructure:
Small Scale: ₹10,00,000 – ₹20,00,000.
Medium Scale: ₹25,00,000 – ₹50,00,000.
4: Machinery and Equipment For Plant of Medicated Ghee
Essential Machinery:
Boiling and Mixing Tanks: For decoction preparation and blending herbs with ghee.
Steam Jacketed Kettle: To control heating during ghee preparation.
Filtration Unit: For purifying the final product.
Packaging Machines: For filling ghee into jars or containers.
Quality Control Instruments: Moisture analyzers, microbial safety testing equipment.
Machinery Cost:
Small Scale: ₹10,00,000 – ₹25,00,000.
Medium Scale: ₹30,00,000 – ₹50,00,000.
5: Raw MaterialsFor Plant of Medicated Ghee
Primary Ingredients:
Base Ghee: Pure cow ghee or other specified ghee types.
Herbs: Brahmi, Ashwagandha, Triphala, Shankhpushpi, and others.
Decoction Ingredients: Water, milk, or oils used for herbal extraction.
Packaging Materials:
Glass or PET jars, labels, and outer boxes.
Raw Material Cost: ₹2,00,000 – ₹10,00,000 (depending on production scale).
6: Manufacturing ProcessFor Plant of Medicated Ghee
Herbal Decoction Preparation:
Boil herbs in water or milk to extract active components.
Strain and collect the liquid (Kashaya).
Ghee Infusion:
Add decoction and ghee to a steam-jacketed kettle.
Heat on low flame, allowing the water content to evaporate.
Stir continuously to prevent burning.
Filtration:
Filter the medicated ghee to remove residue.
Cooling and Packaging:
Allow the ghee to cool before transferring it to jars or containers.
7: Quality ControlFor Plant of Medicated Ghee
Testing Parameters:
Moisture content.
Microbial safety.
Active herbal component levels.
Purity and consistency of ghee.
Documentation:
Maintain batch records and product specifications.
Cost of Quality Control Setup: ₹5,00,000 – ₹10,00,000.
8: StaffingFor Plant of Medicated Ghee
Required Staff:
Ayurvedic Pharmacist or Chemist.
Machine Operators.
Quality Control Analyst.
Packaging Staff.
Administrative and Marketing Team.
Monthly Salaries: ₹1,50,000 – ₹4,00,000 (based on team size).
9: Branding and Packaging
Branding:
Develop a unique logo and attractive product name.
Highlight health benefits and Ayurvedic authenticity.
Packaging:
Use airtight, tamper-proof containers with proper labeling.
Cost for Branding and Packaging: ₹2,00,000 – ₹10,00,000.
10: Marketing and Distribution
Marketing Channels:
Online: E-commerce platforms like Amazon, Flipkart, and health-focused websites.
Offline: Ayurvedic clinics, pharmacies, and health stores.
Export: Use government schemes to promote exports.
Promotion:
Use social media, health blogs, and Ayurvedic seminars to create awareness.
Marketing Budget: ₹2,00,000 – ₹5,00,000.
11. Cost EstimationFor Plant of Medicated Ghee
Component
Cost (₹)
Licenses and Approvals
₹50,000 – ₹1,00,000
Land and Infrastructure
₹10,00,000 – ₹50,00,000
Machinery and Equipment
₹10,00,000 – ₹50,00,000
Raw Materials
₹2,00,000 – ₹10,00,000
Quality Control and R&D
₹5,00,000 – ₹10,00,000
Staffing (1 Year)
₹18,00,000 – ₹48,00,000
Branding and Marketing
₹2,00,000 – ₹10,00,000
Total Cost Estimate
₹50,00,000 – ₹1,80,00,000
12. Revenue PotentialFor Plant of Medicated Ghee
Small Scale Plant: ₹1–3 crore annually.
Medium Scale Plant: ₹3–5 crore annually.
13. Profitability FactorsFor Plant of Medicated Ghee
Efficient Production: Optimize processes to reduce costs.
Export Focus: Medicated ghee is in demand internationally, enhancing profit margins.
औषधीय घी (गृहित) एक आयुर्वेदिक उत्पाद है, जो विभिन्न जड़ी-बूटियों और शुद्ध घी के मिश्रण से तैयार किया जाता है। इस प्रकार का प्लांट स्थापित करने के लिए आपको योजना, सही लाइसेंस, आवश्यक उपकरण, कच्चे माल, और विपणन पर ध्यान देना होगा।
1: बाजार अनुसंधान (Market Research)
उत्पाद चयन:
लोकप्रिय औषधीय घी में ब्राह्मी घी, अश्वगंधा घी, त्रिफला घी, पंचगव्य घी आदि शामिल हैं।
लक्षित ग्राहक:
आयुर्वेदिक चिकित्सक, फार्मेसियां, स्वास्थ्य और वैकल्पिक चिकित्सा के प्रति जागरूक व्यक्ति।
प्रतिस्पर्धा विश्लेषण:
बाजार में मौजूद प्रतिस्पर्धियों का मूल्य निर्धारण और विपणन विश्लेषण करें।
2: कानूनी अनुमतियां और लाइसेंस (Licenses and Approvals)
आवश्यक लाइसेंस:
आयुष लाइसेंस: आयुर्वेदिक उत्पादों के निर्माण के लिए।
FSSAI लाइसेंस: यदि उत्पाद खाद्य सामग्री के रूप में बेचा जा रहा है।
GMP (Good Manufacturing Practices) प्रमाणपत्र: गुणवत्ता के मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति: पर्यावरणीय मानकों को पूरा करने के लिए।
ट्रेडमार्क पंजीकरण: ब्रांड सुरक्षा के लिए।
निर्यात लाइसेंस: यदि आप उत्पादों को विदेशों में निर्यात करने की योजना बना रहे हैं।
लाइसेंस लागत: ₹50,000 – ₹1,00,000
3: स्थान और बुनियादी ढांचा (Location and Infrastructure)
स्थान आवश्यकताएं:
छोटे पैमाने पर प्लांट: 1000–1500 वर्ग फुट।
मध्यम पैमाने पर प्लांट: 3000–5000 वर्ग फुट।
बुनियादी ढांचा:
कच्चे माल का भंडारण: जड़ी-बूटियां, घी, और अन्य सामग्री।
निर्माण इकाई: घी और जड़ी-बूटियों का मिश्रण, पकाना और छानना।
गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला: उत्पाद परीक्षण के लिए।
तैयार माल का भंडारण: पैक किए गए घी का भंडारण।
बुनियादी ढांचा लागत:
छोटे पैमाने पर: ₹10,00,000 – ₹20,00,000
मध्यम पैमाने पर: ₹25,00,000 – ₹50,00,000
4: मशीनरी और उपकरण (Machinery and Equipment)
आवश्यक मशीनें:
मिक्सिंग और बॉयलिंग टैंक: घी और जड़ी-बूटियों को मिलाने और उबालने के लिए।
स्टीम जैकेटेड केतली: घी पकाने के दौरान तापमान नियंत्रित करने के लिए।
फिल्ट्रेशन यूनिट: घी को छानने के लिए।
पैकेजिंग मशीनें: घी को जार या कंटेनरों में पैक करने के लिए।
गुणवत्ता नियंत्रण उपकरण: घी के परीक्षण के लिए विभिन्न उपकरण (माइक्रोबियल और सक्रिय घटक परीक्षण)।
मशीनरी लागत:
छोटे पैमाने पर: ₹10,00,000 – ₹25,00,000
मध्यम पैमाने पर: ₹30,00,000 – ₹50,00,000
5: कच्चा माल (Raw Materials)
मुख्य सामग्री:
शुद्ध घी: जो गाय का दूध या अन्य स्रोत से निकाला जाता है।
जड़ी-बूटियाँ: जैसे ब्राह्मी, अश्वगंधा, त्रिफला, शंखपुष्पी आदि।
डेकोशन अवयव: जैसे पानी, दूध, या तेल, जिसका उपयोग औषधीय तत्वों को निकालने के लिए किया जाता है।
पैकेजिंग सामग्री:
कांच या पीईटी जार, लेबल और बाहरी पैकिंग।
कच्चे माल की लागत: ₹2,00,000 – ₹10,00,000
6: उत्पादन प्रक्रिया (Manufacturing Process)
जड़ी-बूटियों का डेकोशन तैयार करना:
जड़ी-बूटियों को पानी या दूध में उबालकर उनका सक्रिय तत्व निकालना।
बाद में इसे छानकर एकत्रित करना (कषाय)।
घी का मिश्रण:
डेकोशन को घी के साथ स्टीम जैकेटेड केतली में डालकर अच्छे से मिलाना।
धीमी आंच पर गर्म करना ताकि पानी की सामग्री पूरी तरह से वाष्पित हो जाए।
फिल्ट्रेशन:
तैयार घी को छानकर किसी भी अवशिष्ट को हटा देना।
ठंडा करना और पैकिंग:
घी को ठंडा होने के बाद जार या कंटेनर में पैक करना।
7: गुणवत्ता नियंत्रण (Quality Control)
परीक्षण मानक:
घी की नमी, माइक्रोबियल सुरक्षा, और सक्रिय हर्बल घटकों का परीक्षण।
घी की शुद्धता और स्थिरता सुनिश्चित करना।
दस्तावेज़ीकरण:
बैच रिकॉर्ड और उत्पाद विनिर्देशों को बनाए रखना।
गुणवत्ता नियंत्रण लागत: ₹5,00,000 – ₹10,00,000
8: स्टाफ़ की आवश्यकता (Staffing)
आवश्यक स्टाफ़:
आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट या रसायनज्ञ।
मशीन ऑपरेटर।
गुणवत्ता नियंत्रण विश्लेषक।
पैकेजिंग टीम।
प्रशासनिक और विपणन विभाग।
मासिक वेतन अनुमान: ₹1,50,000 – ₹4,00,000 (टीम के आकार के अनुसार)
9: ब्रांडिंग और पैकेजिंग (Branding and Packaging)
ब्रांडिंग:
आकर्षक और प्रभावी ब्रांड नाम और लोगो विकसित करें।
उत्पाद के स्वास्थ्य लाभों और आयुर्वेदिक प्रमाण का प्रचार करें।
पैकेजिंग:
उच्च गुणवत्ता वाले पैकिंग सामग्री का उपयोग करें, ताकि उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहे।
ब्रांडिंग और पैकेजिंग लागत: ₹2,00,000 – ₹10,00,000
10: विपणन और वितरण (Marketing and Distribution)
विपणन चैनल:
ऑनलाइन: अमेज़न, फ्लिपकार्ट और आयुर्वेदिक वेबसाइटों पर उत्पाद बेचें।
ऑफलाइन: आयुर्वेदिक क्लीनिक, फार्मेसियां और स्वास्थ्य स्टोर।
निर्यात: अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों के लिए निर्यात पर ध्यान केंद्रित करें।
प्रचार:
सोशल मीडिया, स्वास्थ्य ब्लॉग और आयुर्वेदिक सेमिनारों का उपयोग करें।
विपणन बजट: ₹2,00,000 – ₹5,00,000
11. कुल लागत अनुमान (Total Cost Estimate)
घटक
लागत (₹)
लाइसेंस और अनुमतियाँ
₹50,000 – ₹1,00,000
भूमि और बुनियादी ढांचा
₹10,00,000 – ₹50,00,000
मशीनरी और उपकरण
₹10,00,000 – ₹50,00,000
कच्चा माल
₹2,00,000 – ₹10,00,000
गुणवत्ता नियंत्रण और R&D
₹5,00,000 – ₹10,00,000
स्टाफ (1 वर्ष)
₹18,00,000 – ₹48,00,000
ब्रांडिंग और विपणन
₹2,00,000 – ₹10,00,000
कुल प्रारंभिक लागत
₹50,00,000 – ₹1,80,00,000
12. राजस्व संभावनाएं (Revenue Potential)
छोटे पैमाने पर प्लांट: ₹1–3 करोड़ वार्षिक।
मध्यम पैमाने पर प्लांट: ₹3–5 करोड़ वार्षिक।
13. लाभप्रदता के कारक (Profitability Factors)
गुणवत्ता की विश्वसनीयता: उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद ग्राहकों का विश्वास जीतता है।
कुशल उत्पादन: उत्पादन प्रक्रिया को अनुकूलित करके लागत कम करें।
निर्यात: अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मांग को देखते हुए निर्यात पर ध्यान केंद्रित करें।