सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) के फैसले को बरकरार रखा है, जिसमे कक्षा 1 में एडमिशन की न्यूनतम आयु 6 साल रखने के फैसले लिया गया.
केंद्रीय विद्यालय के कक्षा एक में एडमिशन के लिए न्यूनतम आयु सीमा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) के फैसले को बरकरार रखा है, जिसमे कक्षा 1 में एडमिशन की न्यूनतम आयु 6 साल रखने के फैसले लिया गया. केवीएस के इस फैसले को पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इससे पहले 5 साल के बच्चों को क्लास वन में दाखिला मिलता था.
बता दें कि, केंद्रीय विद्यालय कक्षा एक एडमिशन 2022 का मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया था, जहां कोर्ट ने न्यूनतम आयु 6 साल रखने का फैसला सुनाया था. इस फैसले को चुनौती देते हुए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया है. केवीएस ने पहले दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि केंद्र सरकार द्वारा 9 जुलाई, 2020 को जारी की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सख्त अनुपालन में आयु मानदंड को अपडेट किया गया था. केवीएस ने इस तर्क का भी खंडन किया कि निर्णय शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करता है. यानी साल 2022-23 के सत्र में पहली कक्षा में सिर्फ उन बच्चों का ही एडमिशन होगा, जिनकी उम्र कम से कम 6 साल है. इससे पहले 5 साल के बच्चों को क्लास वन में दाखिला मिलता था.
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 11 अप्रैल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. बेंच ने कहा कि, हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया था उस पर हमारी भी उनके साथ सहमति है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बच्चों को उनके मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के हित में बहुत कम उम्र में स्कूलों में नहीं भेजा जाना चाहिए. माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे दो साल के होते ही स्कूल जाना शुरू कर दें, लेकिन इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा.जस्टिस संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की पीठ ने इस पर टिप्पणी की है.
हालांकि, दाखिला कोटा में जिन विशेष प्रावधानों को बरकरार रखा गया है उनमें परमवीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र प्राप्त करने वालों के बच्चों का प्रवेश शामिल है; राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के प्राप्तकर्ता; रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के कर्मचारियों के 15 बच्चे; कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चे; केंद्र सरकार के दिवंगत कर्मचारियों के बच्चे; ललित कला में विशेष प्रतिभा दिखाने वाले बच्चे आदि संबंधित कोटे से दाखिला ले सकेंगे.
इधर, केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कोटा प्रथा को खत्म कर दिया है. केंद्रीय विद्यालय संगठन ने इसको लेकर संशोधन के साथ नई गाइडलाइन्स भी जारी कर दी हैं. इन गाइडलाइंस का मेमोरेंडम केंद्रीय विद्यालय की आधिकारिक वेबसाइटkvsangathan.nic.inपर जारी किया गया है. जो कोटा खत्म किए गए हैं उनमें सांसदों, शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों, केंद्रीय विद्यालय के सेवानिवृत कर्मचारियों और स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सहित प्रवेश से जुड़े करीब आधे दर्जन कोटे शामिल हैं. अभी तक सांसदों के कोटे के माध्यम से, प्रत्येक सांसद द्वारा प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में कक्षा एक से नौवीं तक में प्रवेश के लिए 10 छात्रों की सिफारिश की जा सकती थी. नियमों के तहत, 10 नाम उन बच्चों तक ही सीमित होने चाहिए, जिनके माता-पिता सिफारिश करने वाले सांसद के निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित हैं. इसके साथ ही केंद्रीय विद्यालयों में एमपी कोटा और अन्य कोटे भी खत्म करने से केवी में 40 हजार सीटें फ्री होंगी.