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How to Setup a Manufacturing Plant of Namkeen/ Farsan?

How to Setup a Manufacturing Plant of Namkeen/ Farsan?

Setting up a manufacturing plant for Namkeen/Farsan can be a profitable business venture, as these snacks are highly popular in India and abroad.

1. Feasibility Study and Market Research For Plant of Namkeen/ Farsan

  • Analyze demand for Namkeen/Farsan varieties like Bhujia, Sev, Mixture, Chakli, Papdi, Chivda, etc.
  • Study local, national, and export markets to understand preferences.
  • Identify competitors and pricing strategies.

2. Business Plan For Plant of Namkeen/ Farsan

  • Define your product line (traditional Namkeen, diet Namkeen, or premium varieties).
  • Decide the scale: Small-scale, medium-scale, or large-scale.
  • Estimate total investment: Initial setup costs + operational costs.
  • Secure funding from banks, investors, or government schemes like PMEGP or NABARD.

3. Infrastructure and Location For Plant of Namkeen/ Farsan

  • Land Requirement: For a small-scale unit, 1000-1500 sq. ft. is sufficient.
  • Choose a location with good connectivity, power, water, and raw material availability.
  • Set up a production unit with:
    • Processing area: For frying, seasoning, and mixing.
    • Packaging area: For packing Namkeen hygienically.
    • Storage area: For raw materials and finished goods.

4. Machinery and Equipment For Plant of Namkeen/ Farsan

  1. Mixing Machines: For mixing raw ingredients.
  2. Frying Machines: Batch or continuous fryers (gas/electric).
  3. Oil Filter Machines: To maintain oil quality.
  4. Seasoning Machines: For even distribution of spices.
  5. Cooling Conveyors: To cool fried products.
  6. Packing Machines:
    • Manual or automatic packing machines.
    • Weighing scales.
  7. Miscellaneous:
    • Dough kneaders.
    • Cutting machines for Sev, Bhujia, etc.

5. Raw Materials For Plant of Namkeen/ Farsan

  • Flour (gram flour, rice flour, or wheat flour).
  • Spices and flavoring agents (red chili, turmeric, black salt, etc.).
  • Edible oil (refined or groundnut oil).
  • Packaging materials (laminated pouches, plastic boxes, etc.).

6. Licensing and Approvals

  • FSSAI License: Mandatory for food processing.
  • GST Registration: For taxation purposes.
  • Trade License: From the local municipality.
  • MSME Registration: For availing subsidies and benefits.
  • Pollution Control Clearance: For medium or large-scale units.

7. Production Process For Plant of Namkeen/ Farsan

  1. Raw Material Preparation: Cleaning and sieving of raw materials.
  2. Mixing: Mixing flours, spices, and water to prepare dough.
  3. Shaping: Using dough-cutting machines for specific Namkeen types.
  4. Frying: Frying in controlled temperatures for consistent quality.
  5. Seasoning: Adding spices and flavors after cooling.
  6. Packaging: Packing in airtight, attractive packaging to maintain freshness.

8. Estimated Costs For Plant of Namkeen/ Farsan

a. Capital Expenditure

ComponentEstimated Cost (₹)
Land and Building₹5,00,000 – ₹15,00,000
Machinery₹10,00,000 – ₹25,00,000
Initial Stock₹2,00,000 – ₹5,00,000
Miscellaneous₹2,00,000 – ₹5,00,000

b. Operational Costs (Monthly)

ComponentEstimated Cost (₹)
Raw Materials₹1,00,000 – ₹3,00,000
Labor (5-10 workers)₹50,000 – ₹1,50,000
Utilities₹20,000 – ₹50,000
Marketing and Transport₹50,000 – ₹1,00,000

Total Investment:

  • Small-Scale Unit: ₹15,00,000 – ₹30,00,000.
  • Medium-Scale Unit: ₹30,00,000 – ₹60,00,000.

9. Marketing Strategies For Plant of Namkeen/ Farsan

  • Retail Distribution: Tie up with grocery stores and supermarkets.
  • E-Commerce: List products on Amazon, Flipkart, and local grocery platforms.
  • Wholesale Supply: Sell to distributors for bulk orders.
  • Branding: Invest in attractive packaging and advertising.
  • Export Opportunities: Cater to NRIs and international markets.

10. Profitability For Plant of Namkeen/ Farsan

Revenue Potential:

  • Monthly revenue: ₹2,00,000 – ₹10,00,000 (depending on scale and demand).
  • Profit margin: 20-30% (after accounting for all costs).

11. Government Subsidies and Support

  • PMEGP (Prime Minister’s Employment Generation Programme): For loans and subsidies.
  • NABARD Assistance: For food processing units.
  • Ministry of Food Processing Industries (MoFPI): Provides grants and technical support.

भारत में नमकीन या फरसान का निर्माण संयंत्र स्थापित करना एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है, क्योंकि इन उत्पादों की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हमेशा बनी रहती है।

1. अध्ययन और बाजार अनुसंधान (Feasibility Study and Market Research)

  • यह तय करें कि आप कौन-कौन से नमकीन बनाएंगे, जैसे:
    • भुजिया, सेव, मिक्सचर, चिवड़ा, पापड़ी, चकली, आदि।
  • लोकल, नेशनल और इंटरनेशनल बाजार में इनकी मांग और प्रतिस्पर्धा का अध्ययन करें।
  • उन क्षेत्रों की पहचान करें जहां कच्चे माल और उत्पादों की अधिक मांग है।

2. व्यवसाय योजना (Business Plan)

  • अपने व्यवसाय के उद्देश्य, उत्पादों की रेंज और उत्पादन क्षमता को परिभाषित करें।
  • कुल लागत का आकलन करें:
    • प्रारंभिक लागत (भूमि, भवन, मशीनरी)।
    • संचालन लागत (कच्चा माल, श्रम, बिजली)।
  • फंडिंग के लिए बैंक लोन, सरकारी योजनाएं (जैसे PMEGP, MSME) या निवेशकों से संपर्क करें।

3. स्थान और इंफ्रास्ट्रक्चर (Location and Infrastructure)

स्थान (Location)

  • ऐसी जगह चुनें जहां बिजली, पानी, और परिवहन की सुविधा हो।
  • स्थानीय बाजार, वितरकों और थोक विक्रेताओं तक आसान पहुंच होनी चाहिए।

इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure)

  • उत्पादन क्षेत्र (Processing Area)।
  • पैकेजिंग और स्टोरेज क्षेत्र।
  • प्रशासनिक कार्यालय।
  • साफ-सफाई और गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के लिए उचित वेंटिलेशन और जगह।

4. मशीनरी और उपकरण (Machinery and Equipment)

  1. मिक्सिंग मशीन: आटे और मसालों को मिलाने के लिए।
  2. फ्राईर मशीन: गैस या इलेक्ट्रिक फ्रायर, बैच या कंटिन्यूअस फ्राईर।
  3. ऑयल फिल्टर मशीन: तेल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए।
  4. सीज़निंग मशीन: मसाले और स्वाद समान रूप से मिलाने के लिए।
  5. कूलिंग कन्वेयर: फ्राई करने के बाद नमकीन ठंडा करने के लिए।
  6. पैकेजिंग मशीन:
    • मैनुअल या ऑटोमेटिक पैकेजिंग।
    • वेटिंग मशीन और वैक्यूम सीलर।
  7. अन्य उपकरण:
    • आटा गूंथने की मशीन।
    • कटिंग मशीन (भुजिया, सेव, आदि के लिए)।

5. कच्चा माल (Raw Materials)

  • बेसन (चने का आटा), चावल का आटा, गेहूं का आटा।
  • मसाले (हल्दी, मिर्च पाउडर, काली मिर्च, काला नमक, आदि)।
  • खाद्य तेल (रिफाइंड या मूंगफली का तेल)।
  • पैकेजिंग सामग्री (लैमिनेटेड पाउच, प्लास्टिक डिब्बे)।

6. लाइसेंस और अनुमतियां (Licensing and Approvals)

  1. एफएसएसएआई लाइसेंस (FSSAI): खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता के लिए।
  2. जीएसटी रजिस्ट्रेशन (GST): कर अनुपालन के लिए।
  3. व्यापार लाइसेंस: स्थानीय नगर पालिका से।
  4. एमएसएमई रजिस्ट्रेशन (MSME): सरकारी सब्सिडी और लाभ पाने के लिए।
  5. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अनुमति (मध्यम या बड़े पैमाने के लिए)।

7. उत्पादन प्रक्रिया (Production Process)

  1. कच्चे माल की तैयारी: सामग्री को साफ और छानकर तैयार करें।
  2. मिक्सिंग: बेसन, मसाले और पानी मिलाकर आटा तैयार करें।
  3. शेपिंग: भुजिया, सेव आदि के लिए कटिंग मशीन का उपयोग करें।
  4. फ्राईंग: तेल में समान तापमान पर तलें।
  5. सीज़निंग: ठंडा करने के बाद मसालों का स्वाद मिलाएं।
  6. पैकेजिंग: एयरटाइट और आकर्षक पैकेजिंग करें।

8. लागत का आकलन (Cost Estimation)

a. प्रारंभिक लागत (Capital Cost)

घटकअनुमानित लागत (₹)
भूमि और भवन₹5,00,000 – ₹15,00,000
मशीनरी और उपकरण₹10,00,000 – ₹25,00,000
प्रारंभिक स्टॉक₹2,00,000 – ₹5,00,000
अन्य खर्च₹2,00,000 – ₹5,00,000

b. संचालन लागत (Operational Cost)

घटकमासिक लागत (₹)
कच्चा माल₹1,00,000 – ₹3,00,000
श्रमिकों का वेतन₹50,000 – ₹1,50,000
बिजली और पानी₹20,000 – ₹50,000
विपणन और वितरण₹50,000 – ₹1,00,000

9. विपणन रणनीति (Marketing Strategies)

  • खुदरा बिक्री: किराना दुकानों और सुपरमार्केट से साझेदारी करें।
  • ऑनलाइन बिक्री: Amazon, Flipkart, BigBasket जैसे प्लेटफॉर्म पर उत्पाद बेचें।
  • थोक आपूर्ति: डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से थोक में बिक्री।
  • ब्रांडिंग: आकर्षक पैकेजिंग और विज्ञापन में निवेश करें।
  • निर्यात अवसर: एनआरआई और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सप्लाई करें।

10. आय और लाभप्रदता (Revenue and Profitability)

  • मासिक आय: ₹2,00,000 – ₹10,00,000 (उत्पादन और बाजार पर निर्भर)।
  • लाभ मार्जिन: 20-30%।

11. सरकारी सहायता और सब्सिडी (Government Support and

  • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना (PMEGP): लोन और सब्सिडी के लिए।
  • नाबार्ड (NABARD): फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स के लिए फाइनेंशियल सहायता।
  • खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय: तकनीकी मदद और अनुदान प्रदान करता है।

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