Deoghar Ropeway Accident: एयरलिफ्ट करने के प्रयास में सेफ्टी बेल्ट टूटने से डेढ़ हजार फीट नीचे गिरा पर्यटक
देवघर के त्रिकूट पर्वत पर रेस्क्यू ऑपरेशन बंद, फंसे 14 लोगों को मोटिवेट करने एक ट्रॉली में रुका गरुड़ कमांडो
देवघर के त्रिकूट पर्वत पर रोपवे में फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए चल रहा ऑपरेशन शाम ढलते ही बंद कर दिया गया है. मंगलवार सुबह फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू होगा.
देवघर: त्रिकुट पहाड़ के रोपवे में रात भर फंसे 48 पर्यटकों को सकुशल नीचे उतारने के बीच एक हादसा हो गया। सोमवार शाम करीब पौने छह रेस्क्यू करने के प्रयास में एयरलिफ्ट करने के दौरान एक पर्यटक का सेफ्टी बेल्ट खुल गया। हालांकि इसके बावजूद कमांडो उसके हाथ को पकड़ उसे हेलीकॉप्टर के अंदर खींच रहा था, लेकिन इस दौरान हाथ छूटने से 48 वर्षीय उक्त पर्यटक करीब डेढ़ हजार फीट गहरी खाई में जा गिरा।
देवघर त्रिकुटी पहाड़ में रेस्क्यू के समय सेना के हेलीकॉप्टर से हाथ फिसल कर गिर जाने वाले रोजगार सेवक का नाम राकेश कुमार मंडल सरैयाहाट के ककनी नवाडीह गांव के रहने वाले थे और तत्काल शिकारीपाड़ा पंचायत में रोजगार सेवक में कार्यरत थे।
UPDATE
देवघर में त्रिकुट पहाड़ के रोप-वे पर हादसे में अब भी 14 जिंदगियां फंसी हुई हैं। सोमवार शाम छह बजे अंधेरा होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया। सेना, वायुसेना और NDRF ने सोमवार दोपहर 12 बजे MI-17 हेलिकॉप्टर की मदद से दोबारा रेस्क्यू शुरू किया था। शाम तक 33 श्रद्धालुओं को बचाया गया है। 14 लोग अब भी फंसे हैं। दो लोगों की मौत हो गई। रेस्क्यू के वक्त शाम साढ़े पांच बजे 48 वर्षीय पर्यटक का हेलिकॉप्टर में चढ़ने के दौरान सेफ्टी बेल्ट टूट गया। इससे वह करीब डेढ़ हजार फीट गहरी खाई में गिर गया। उसे अस्पताल में पहुंचा दिया गया है। वह केबिन नंबर-19 में सवार था।
देवघर के जिलाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री ने बताया कि दिनभर चले ऑपरेशन के दौरान 32 लोगों को अलग-अलग ट्रॉली से सकुशल रेस्क्यू कर लिया गया. लेकिन शाम के वक्त एक हादसा होने की वजह से एक शख्स की जान चली गई. उन्होंने बताया कि अभी चार ट्रॉलियों में करीब 15 लोग फंसे हुए हैं. देवघर के जिलाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री ने बताया कि प्रशासन की पहली कोशिश है कि जो पर्यटक अभी भी फंसे हुए हैं उनको सुरक्षित बाहर कैसे निकाला जाए. उन्होंने कहा कि 10 अप्रैल को जब हादसा हुआ, उस वक्त से ही पूरा प्रशासन रेस्क्यू में जुटा हुआ है. उन्होंने कहा कि इस दुर्घटना की जांच होगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
इसके अलावा एक ट्रॉली में एयरफोर्स का एक गरुड़ कमांडो भी फंस गया है. दरअसल, वह रेस्क्यू कराने के लिए एक ट्रॉली में पहुंचे थे, इसी दौरान अंधेरा होने की वजह से दोनों चॉपर मूव कर गये. हालांकि इसे अच्छा माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि ट्रॉली में फंसा गरुड़ कमांडो दूसरी ट्रॉलियों में फंसे पर्यटकों को रात भर मोटिवेट करता रहेगा. जिलाधिकारी ने बताया कि 10 अप्रैल की शाम हादसा होने के बाद फौरन एनडीआरएफ की टीम के साथ साथ सेना की मदद की मांग की गई थी. इस पर केंद्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सुबह होते ही एयर फोर्स की टीम के साथ-साथ सेना और आईटीबीपी की टीम को तैनात कर दिया था. उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में पश्चिम बंगाल के खड़कपुर एयरवेज के साथ-साथ रांची से एयर फोर्स की टीम लगी हुई है. ईटीवी भारत ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह की त्रिकूट पर्वत से ग्राउंड रिपोर्ट से जानिए पूरी कहानी.
हादसा कब और कैसे हुआः 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन बड़ी संख्या में लोग रोपवे के सहारे त्रिकूट पर्वत का भ्रमण करने पहुंचे थे. इसी बीच शाम के वक्त त्रिकुट पर्वत के टॉप प्लेटफार्म पर रोपवे का एक्सेल टूट गया. इसकी वजह से रोपवे ढीला पड़ गया और सभी 24 ट्रॉली का मूवमेंट रुक गया. रोपवे के ढीला पड़ने की वजह से दो ट्रोलिया या तो आपस में या चट्टान से टकरा गई. जिसकी वजह से एक महिला पर्यटक की मौत हो गई.
कब स्थापित हुआ था रोपवे सिस्टमः त्रिकूट पर्वत पर रोपवे सिस्टम की स्थापना साल 2009 में हुई थी. यह झारखंड का इकलौता और सबसे अनोखा रोपवे सिस्टम है. जमीन से पहाड़ी पर जाने के लिए 760 मीटर का सफर रोपवे के जरिए महज 5 से 10 मिनट में पूरा किया जाता है. कुल 24 ट्रालिया हैं. एक ट्रॉली में ज्यादा से ज्यादा 4 लोग बैठ सकते हैं. एक सीट के लिए 150रु देने पड़ते हैं और एक केबिन बुक करने पर 500 रु लगता है. इसकी देखरेख दामोदर रोपवेज एंड इंफ्रा लिमिटेड, कोलकाता की कंपनी करती है. यही कंपनी फिलहाल वैष्णो देवी,हीराकुंड और चित्रकूट में रोपवे का संचालन कर रही है. कंपनी के जनरल मैनेजर कमर्शियल महेश मोहता ने बताया कि कंपनी भी अपने स्तर से पूरे मामले की जांच कर रही है.
क्या है त्रिकूट पर्वतः झारखंड के देवघर जिला को दो वजहों से जाना जाता है. एक है रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग और दूसरा त्रिकूट पर्वत पर बना रोपवे सिस्टम. इस पर्वत से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि रामायण काल में रावण भी इस जगह पर रुका करते थे. इसी पर्वत पर बैठकर रावण रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग को आरती दिखाया करते थे. इस पर्वत पर शंकर भगवान का मंदिर भी है. जहां नियमित रूप से पूजा भी की जाती है. इस रोपवे सिस्टम की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की रोजी-रोटी चल रही है.
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