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पहाड़ी मंदिर, रांची

पहाड़ी के ऊपर स्थित मंदिर जिसे पहाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है।यह मंदिर रांची के पश्चिम मे एक पहाड़ी पर अवस्थित है। पहाड़ी के ऊपर भगवान भोलेनाथ का एक आकर्षक भव्य मंदिर है l मंदिर तक पहुंचाने के लिए 300 से ज्यादा सीढ़ियों पर चलानी पड़ती है तब जाकर भगवान शिव का दर्शन कर सकते है। इस पहाड़ी पर मुख्य मंदिर भगवान शिव का है । इसके बाद यहां बहुत सारे मंदिर है l
महाकाल का मंदिर :- इस मंदिर में भगवान शिव के महाकाल अवतार की पूजा की जाती है। महाकाल की मूर्ति प्रवेश द्वार से बाईं और स्थित है और यहां शक्ति की पूजा मां काली के रूप में की जाती है।
मां काली मंदिर :-मां काली की प्रतिमा सीढ़ियों के नीचे दाएं और स्थापित है।
विश्वनाथ मंदिर : – विश्वनाथ मंदिर पहाड़ी के बीच दाहिनी और स्थित है इस मंदिर में शिव की प्रतिमा काले रंग की है।

दुर्गा मंदिर :- शिव मंदिर के बगल में पहाड़ी के पर स्थित मां दुर्गा की प्रतिमा 30 साल पुरानी है जिसमें शक्ति अपनी दो रूपों में विराजमान है मां दुर्गा और मां पार्वती।
हनुमान जी का मंदिर :- हनुमान जी की मूर्ति पत्थर बनाई गई है जो इसकी एक खासियत है। यहां रामनवमी के शुभ अवसर पर भगवान हनुमान जी का महत्वपूर्ण झंडा फहराया जाता है।
नाग मंदिर :- शिव मंदिर के नाग कक्ष में नाग मंदिर स्थित है।

पहाड़ियों से देखने पर यहां का दृश्य बेहद खूबसूरत दिखता है। बारिश के मौसम में तो और भी ज्यादा खूबसूरत दिखता है। यहां पेड़ के अलग-अलग प्रजातियां मौजूद है।
पहाड़ी मंदिर रांची शहर के प्रमुख स्थलों में से एक है।
इस पहाड़ी के नीचे एक झील है जिसे रांची झील के नाम से जाना जाता है।
इस झील की खुदाई 1842 में कर्नल ओन्सली ने किया था।
हर दिन शाम को शिवलिंग का सिंगार किया जाता है।
पहाड़ी मंदिर की प्रमुख पांच आरतियां होती हैं । मंगल आरती, सलोनी आरती ,मनोकामना आरती ,भोग श्रृंगार आरती ,सिंगर आरती ।
पूरे दिन मंदिर के अंदर भजन का गीत बजाया जाता है।

इस मंदिर में दूर-दूर से लोग जल चढ़ाने आते हैं। इस मंदिर के सारे देवी देवताओं की पूजा की जाती है।
त्योहार और सावन के अवसर पर तीर्थ यात्रियों की संख्या यहां देखी जाती है।
पहाड़ी मंदिर को रिची बुरू नाम से भी जाना जाता है और कहा जाता है यही इसका असली नाम है।
स्वतंत्रता सेनानी के बलिदानों को याद करते हुए इस पहाड़ी की चोटी में गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस के रूप पर तिरंगा झंडा फहराया जाता है।
मंदिर के चारों ओर का वातावरण बहुत अच्छा है।
हर साल श्रवण मेला में सुबह के वक्त मंदिरों में बोल बम के नारे और कावड़ियों की झंकार गूंजती है।

यहां तीर्थ यात्री पर्यटक और भक्तों के लिए सारी सुविधा उपलब्ध है मंदिर परिसर ने कोई प्रकार की समस्या ना हो उसका भी पूरा ध्यान रखा है ।
यहां 24 घंटे पानी की सुविधा,यात्री रोड,जूता स्टैंड ,एटीएम 24 घंटे सुलभ शौचालय सीसीटीवी कैमरा की निगरानी ।

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