झारखंड राज्य के दुमका जिले में स्थित बासुकीनाथ धाम यहां का मुख्य आकर्षण है । यह हिंदुओं के लिए एक तीर्थ यात्रा का स्थल बन चुका है। यह देवघर – दुमका राज्य राजमार्ग पर स्थित है। दुमका के उत्तर पश्चिम में लगभग 25 किलोमीटर की दूर पर है। बासुकीनाथ मंदिर में भगवान शिव बासुकीनाथ के रूप में पूजे जाते हैं। यह कहा जाता है की जब तक बासुकीनाथ के दर्शन ना किया जाए तब तक देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ के दर्शन अधूरा ही माना जाएगा । वर्तमान दृश्य बासुकीनाथ मंदिर का स्थापना 16वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में हुआ । बासुकिनाथ मंदिर का इतिहास सागर मंथन से जुड़ाहुआ है। बासुकीनाथ मंदिर झारखंड के कुछ प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। बासुकीनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग के सर्वप्रथम पूजारी बासुकी को जाना जाता है जो भगवान शिव की पूजा अर्चना किया करते थे । तब से ही यहां स्थित शिव को बासुकीनाथ के नाम कहा जाने लगा । यहां शिव जी के मुख्य मंदिर के अलावा अन्य देवी देवताओं के भी मंदिर स्थापित है। बासुकीनाथ में स्थित शिव का स्वरूप नागेश का है । और यह भी कहा जाता है की भोलेनाथ को दूध अर्पित करने वाले भक्तों को भोलेनाथ का भरपूर आशीर्वाद मिलता है।
मंदिर के पास एक छोटा सा तालाब स्थित है जिससे शिवगंगा कहा जाता है ।
बासुकिनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है प्रत्येक वर्ष।
सावन माह में तो बहुत ज्यादा भीड़ लगती है।
आप भी बाबा बासुकीनाथ धाम के दर्शन कर सकते है और शिव रूपी नागेश का आशीर्वाद पा सकते है।
कैसे पहुंच:-
सड़क से :- दुमका से 25 किलोमीटर की दूरी पर दुमका देवघर राजमार्ग पर स्थित है।
ट्रेन से:- जसीडीह रेलवे स्टेशन से 50 किलोमीटर दूर है l
हवाई जहाज से :- कोलकाता और बिरसा मुंडा एयरपोर्ट रांची जो 300 किलोमीटर और 350 किलोमीटर की दूरी पर है ।
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