कोणार्क सूर्य मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। कोणार्क सूर्य मंदिर उड़ीसा की पूरी में स्थित है ।
कहा जाता है कि कोणार्क सूर्य मंदिर 772 साल पुराना है और इसे बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से बनाया गया है । इस मंदिर को देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक यहां घूमने आते हैं।
इस मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर को इस प्रकार बनाया गया है जब सूर्य की पहली किरण पड़ती तो वो सिर्फ मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही पड़ती है।
कोणार्क सूर्य मंदिर की संरचना रथ के समान है।
और इस रथ में सात घोड़े हैं जो सप्ताह के 7 दोनों का प्रतीक माना जाता है ।
और इस रथ में कुल 12 जोड़ी पहिया है जिसमें से एक पहिया का व्यास करीब 3 मीटर है । पहिया को धूप घड़ी भी कहा जाता है जो वक्त बताने का काम करता है ।
कोणार्क सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य रथ पर सवार है।
इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो मूर्तियां हैं जिसमें सिंह के नीचे हाथी और हाथी के नीचे मानव शरीर का संरचना है।
साल 1984 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में इस मंदिर को घोषित किया।
इस मंदिर को बना कर पूरा करने वाले मुख्य शिल्पकार दिसुमुहराना के बेटे धार्मपदा थे।
प्राचीन मान्यता के अनुसार सर्वप्रथम इस मंदिर की स्थापना श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब ने किया था जब उसको श्राप मिलने के कारण कोढ़ रोग हो गया था जिससे छुटकारा पाने के लिए उसने कोणार्क में 12 साल तक तपस्या की जिसके बाद सूर्य देव ने इस रोग से उन्हें मुक्त किया । इसके बाद नदी में नहाने के दौरान उन्हें सूर्य देव की एक मूर्ति मिली और उसने इस स्थान पर सूर्य मंदिर बनाने का आदेश दिया। मंदिर बन जाने के बाद उसे मिली मूर्ति को स्थापित किए थे।
साम्ब के बाद इस मंदिर का निर्माण कार्य चलते रहा।
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